आईएईए की रिपोर्ट से पर्दाफाश: परमाणु संयंत्र सुरक्षित, पाकिस्तान का विकिरण का दावा झूठा

ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत द्वारा किए गए हवाई हमलों के बाद, पाकिस्तान पर अपने किराना हिल्स क्षेत्र में एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर हमला करने का आरोप लगाया गया था। हालाँकि, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें कहा गया है कि पाकिस्तान में किसी भी परमाणु ऊर्जा संयंत्र से कोई विकिरण रिसाव या उत्सर्जन नहीं हुआ है। इसलिए पाकिस्तान का धोखा उजागर हो गया है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री को जानलेवा धमकी, प्रदेश में सनसनी

हालांकि, इससे पहले भारतीय वायुसेना के एयर मार्शल एके भारती ने भी सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस दावे को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था, “हमें यह बताने के लिए धन्यवाद कि किराना हिल्स में एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र है, हमें इसकी जानकारी नहीं थी। हमने किराना हिल्स को निशाना नहीं बनाया।” विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने 13 मई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट किया कि भारत की सैन्य कार्रवाई पूरी तरह से पारंपरिक सीमाओं के भीतर थी। उन्होंने कहा, “परमाणु रिसाव की अफवाहों पर प्रतिक्रिया देना पाकिस्तान का काम है, हमारा नहीं। हमने सुरक्षा परिषद में अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है।” उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान के राष्ट्रीय कमान प्राधिकरण की बैठक की अफवाहों को भी बाद में आधिकारिक तौर पर खारिज कर दिया गया।

आईएईएस क्यों?
आईएईए के अनुसार, उनका घटना एवं आपातकालीन केंद्र (आईईसी) दुनिया भर में परमाणु और रेडियोलॉजिकल घटनाओं के लिए आपातकालीन तैयारी, संचार और प्रतिक्रिया का मुख्य केंद्र है। इसकी स्थापना 29 जुलाई 1957 को हुई थी, जिसका मुख्य कार्य विश्व में किसी भी परमाणु दुर्घटना, लापरवाही या जानबूझकर की गई घटना की निगरानी करना था। कुल 178 देश अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के सदस्य हैं। इसका मुख्यालय ऑस्ट्रिया में है। आईएईए की पुष्टि के बाद अमेरिका भी इस मामले पर चुप रहा है। 13 मई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब पूछा गया कि क्या अमेरिका कथित परमाणु रिसाव की रिपोर्ट की जांच के लिए पाकिस्तान में एक टीम भेजेगा, तो अमेरिकी विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता टॉमी पिगॉट ने जवाब दिया कि इस मामले पर साझा करने के लिए उनके पास कोई नई जानकारी नहीं है।

भारत-पाक करार
‘परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं पर हमलों के निषेध हेतु समझौता’ भारत और पाकिस्तान के बीच एक पुराना समझौता है। दोनों देशों ने 31 दिसंबर, 1988 को इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। यह समझौता 27 जनवरी, 1991 को लागू हुआ। समझौते के अनुसार, दोनों देश हर साल 1 जनवरी को एक-दूसरे को अपने-अपने परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठानों की सूची उपलब्ध कराते हैं। 1 जनवरी 2025 को दोनों देशों के बीच इस प्रक्रिया का 34वां आदान-प्रदान हुआ।

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, परमाणु हमले या लीक की खबर अत्यधिक संवेदनशील और खतरनाक हो सकती है। लेकिन भारत द्वारा दी गई स्पष्टता, आईएईए की अंतर्राष्ट्रीय पुष्टि तथा अमेरिका की हल्की प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट हो गया है कि कोई परमाणु आपातकाल उत्पन्न नहीं हुआ है। यह स्थिति दर्शाती है कि भारत की सैन्य कार्रवाई सटीक, सीमित और जिम्मेदाराना थी तथा अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों का पूर्णतः पालन किया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *